वन विभाग के अफसर की लालफीताशाही से डूबने को मजबूर राजधानी के ये ग्रामीण इलाके, लटकाए बैठे हैं कई फाइलों को
3 माह से अनुमति के लिए अन्य विभागीय अधिकारी भी परेशान
DM और DFO दफ्तर के बीच 3 माह से झूल रही अनुमति की फाइलें, डूबने को मजबूर दून के ये गांव; देहरादून, ब्यूरो। उत्तराखंड और हिमाचल में लगातार हो रही बारिश से जगह-जगह नदी नाले उफान पर हैं। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में भी हालात बारिश के बद से बदतर होते जा रहे हैं। जहां कई रिहायशी क्षेत्र तालाब में तब्दील हो गए हैं, घर जलमग्न हो गए हैं वहीं, कई इलाके ऐसे भी हैं जो नदी के जल स्तर बढ़ने के कारण खतरे की ज़द में आ गए हैं। देहरादून राजधानी से निकलने वाली रिस्पना, बिंदाल के मिलने के बाद बहने वाली सुसवा नदी के किनारे हालात इस बरसात में पहली बार इतने खराब हुए हैं कि लोग दहशत में हैं। जगह-जगह नदी ने तोड़फोड़ कर कई बीघा जमीन और कई घरों को खतरा पैदा कर दिया है। कई बस्तियां, गांव खतरे की जद में आ गई हैं। दूधली ग्राम सभा क्षेत्र के बड़कली की बात की जाए तो यहां पर सिंचाई और वन विभाग की अनुमति प्रक्रिया में विलंब होने के कारण कई गांव नदी की आगोश में समाने वाले हैं। लोग बिना सोए रात गुजार रहे हैं।
दरअसल, बड़कली पुल के पास से नदी को सेंट्रलाइज करने के लिए सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने डीएम कार्यालय से गुहार लगाई। फिर वन विभाग के प्रभागीय पदाधिकारी देहरादून के यहां फाइल भेजी गई। अब बरसात के कारण हालात भयावह होने के बाद भी डीएफएओर कार्यालय से कोई अनुमति न मिलने से धरातल पर विभाग के अफसर भी कोई काम नहीं कर पाए हैं। इससे नदी को सेंट्रलाइज नहीं किया जा सका है। इसके साथ ही सही आंकलन के साथ नदी के आस-पास पुस्ते और जाल लगाए जा सके हैं। हालात अब ऐसे हो गए हैं कि नदी रोज जगह-जगह घुसकर तोड़फोड़ करती हुई आगे बढ़ रही है। आज भी बारिश का अलर्ट होने के कारण स्थानीय लोग परेशान हैं। कई लोग तो कल रात से सोए भी नहीं और उन्होंने नदी का रुख देखते-देखते अपनी रात बिताई है। इस संबंध में स्थानीय विधायक डोईवाला बृजभूषण गैरोला से जब इस संबंध में बात की गई तो उन्होंने बताया कि वन विभाग के डीएफओ ऑफिस की तरफ से फाइल में विलंब होने के कारण अभी तक धरातल पर कोई काम नहीं हो पाया है। उन्होंने अधिकारियों की इस लालफीताशाही के खिलाफ मुख्यमंत्री से बातचीत करने की भी बात कही।
डीएफओ नहीं उठाते फोन, काम तो दूर की बात
देखा जाए तो कहीं ना कहीं डीएम दफ्तर और डीएफओ दफ्तर के बीच सुसवा नदी सेंट्रलाइज करने की फाइल किसी पेंडुलम की तरह झूल रही है और यहां के कई गांव इस कारण खतरे की जद में आ गए हैं। कहीं न कहीं इसके लिए नेता और अन्य विभाग के अधिकारी वर्तमान में देहरादून के डीएफओ नीतीश मणि त्रिपाठी और उनके स्टाफ की लेटलतीफी को इसके लिए जिम्मेदार मान रहे हैं। स्थानीय जनप्रतिनिधियों की मानें तो वर्तमान देहरादून डिविजन में तैनात डीएफओ न तो फोन उठाते हैं और न ही उनका कोई बैक कॉल या मैसेज आता है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अच्छी खासी साख पर ऐसे ही अधिकारी गए बट्टा लगा रहे हैं।
कई इलाकों की अनुमति की फाइलें फांक रही धूल
देहरादून के कई इलाकों की ऐसी ही अनुमति की फाइलें डीएफओ कार्यालय में धूल फांक रही हैं और कई इलाके इस कारण खतरे की जद में हैं, लेकिन डीएफओ साहब ऐसे हैं कि फोन तो उठाना तो दूर वह किसी मंत्री विधायक और यहां तक कि मुख्यमंत्री कार्यालय से आने वाले कॉल्स का भी कोई जवाब नहीं देते हैं। इसकी मुख्यमंत्री को अपने स्तर से जांच करनी चाहिए ताकि वीवीआईपी इलाके राजधानी देहरादून को कोई अच्छा और जनता के कार्य करने वाला अफसर मिल सके। राजधानी देहरादून इलाके के डीएफओ अगर ऐसे होंगे तो पर्वतीय क्षेत्रों में तैनात अधिकारियों की मनमानियां और तानाशाही का अंदाजा आप स्वयं लगा सकते हैं।