
बिना फार्मासिस्ट के संचालित केमिस्ट मेडिकल स्टोर और झोलाछाप क्लिनिकों पर हो कर्रवाई, ड्रग कंट्रोलर से मिला यह प्रतिनिधि मंडल
- मेडिकल स्टोर्स में बेरोजगार फार्मासिस्ट को मिले रोजगार, ड्रग एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के तहत कार्रवाई की मांग
देहरादून, ब्यूरो। उत्तराखंड में फार्मासिस्ट की फिज़िकल अनुपस्थिति में संचालित मेडिकल स्टोर, झोलाछाप क्लीनिकों और दवा वितरण केन्द्रों पर फार्मेसी एक्ट 1948 ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1940 नियम 1945 के तहत कार्यवाही कर उन पर फार्मासिस्ट नियुक्त करवाने, बिना लाईसेंस व बिना फार्मासिस्ट के संचालित सभी मेडिकल स्टोर व झोलाछापो को बन्द करवाने की मांग को लेकर बेरोजगार डिप्लोमा फार्मासिस्ट एसोसिएशन के प्रतिनिधि मंडल ने ड्रग कंट्रोलर उत्तराखंड को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की है। प्रतिनिधि मंडल ने अपर आयुक्त/ड्रग कंट्रोलर को पत्र लिखकर जांच करने की मांग की है और मुलाकात कर बेरोजगार युवाओं को रोजगार दिलाने की मांग की है।
जिला अध्यक्ष रेनू भंडारी की अगुवाई में प्रतिनिधि मंडल ने बताया कि आम जनमानस के स्वास्थ्य को देखते हुए प्रदेश में सम्बन्धित विभाग व आधिकारीयो द्वारा कोई भी उचित कदम नहीं उठाया जा रहा है।
प्रदेश में लगभग 21000 रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट उत्तराखंड राज्य फार्मेसी काउंसिलिंग में पंजीकृत है, जबकि पूरे प्रदेश में लाखों की संख्या में फर्जी मेडिकल स्टोर व झोलाछाप क्लीनिको में बिना लाइसेंस व बिना फार्मासिस्ट के दवा का वितरण किया जा रहा है व अनियमितता से चलाए जा रहे हैं। वर्षों से पूरे प्रदेश में फार्मेसी एक्ट की धज्जियां उड़ाई जा रही है जिस पर न तो विभागीय अधिकारी ध्यान देते है न ही संबन्धित विभाग।
उन्होंने दवा वितरण केन्द्रों व मेडिकल स्टोरो पर कानूनन (फार्मेसी एक्ट 1948 ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1940 नियम 1945 के तहत दवा का वितरण भंडारण केवल पंजीकृत फार्मासिस्ट ही कर सकता है, उसके अलावा कोई गैर फार्मासिस्ट दवा का वितरण व भंडारण करता है तो छह माह कैद (कारावास) व 1000 रुपये के जुर्माने का प्रावधान हैं।
प्रदेश में अयोग्य व्यक्तियों द्वारा दवा वितरण किया जा रहा है और जिस गर्भपात करने वाली दवा डाक्टर की देखरेख में फामासिस्ट देते है उसे अयोग्य व्यक्तियों द्वारा बाँटी जा रही हैं, जिससे दिन प्रतिदिन ऐसे केस दवा की अनियमितता को लेकर सामने आते हैं जिससे कि मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है व कभी-कभी मरीजों की जान तक खतरे में आ रही है। साथ ही दवाईयों का भी दुरुप्रयोग हो रहा है। उन्होंने ड्रग कंट्रोलर एवं अपर आयुक्त को कहा कि इस पर आपको गंभीर कदम उठाने चाहिए व कठिन कार्यवाही होनी चाहिए जिससे मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ न हो और मरीजों को सही हाथों व योग्य व्यक्ति से ही दवाएं मिले।